टॉक शो में हुई संस्कृत सिनेमा के भविष्य पर चर्चा, एक्सपर्ट ने कहा- कालिदास सबसे रोमांटिक लेखक | The future of Sanskrit cinema was discussed in the talk show, the film expert said; Kalidas is the world’s most romantic writer

author
0 minutes, 12 seconds Read
Spread the love

[ad_1]

  • Hindi News
  • Local
  • Rajasthan
  • Jaipur
  • The Future Of Sanskrit Cinema Was Discussed In The Talk Show, The Film Expert Said; Kalidas Is The World’s Most Romantic Writer

जयपुर17 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
अखिल भारतीय माघ महोत्सव के तहत जयपुर के जैम सिनेमा में रविवार को रिफ फिल्म क्लब के सहयोग से दो दिवसीय  राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल में संस्कृत के श्रृंगार पक्ष को दिखाती फिल्म शाकुंतलम ने उपस्थित दर्शकों का दिल जीत लिया।  - Dainik Bhaskar

अखिल भारतीय माघ महोत्सव के तहत जयपुर के जैम सिनेमा में रविवार को रिफ फिल्म क्लब के सहयोग से दो दिवसीय  राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल में संस्कृत के श्रृंगार पक्ष को दिखाती फिल्म शाकुंतलम ने उपस्थित दर्शकों का दिल जीत लिया। 

राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित किए जा रहे अखिल भारतीय माघ महोत्सव के तहत जयपुर के जैम सिनेमा में रविवार को रिफ फिल्म क्लब के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल में संस्कृत के श्रृंगार पक्ष को दिखाती फिल्म शाकुंतलम ने उपस्थित दर्शकों का दिल जीत लिया।

राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल के तहत दूसरे और अंतिम दिन की शुरुआत जैम सिनेमा में टॉक शो से हुई।

राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल के तहत दूसरे और अंतिम दिन की शुरुआत जैम सिनेमा में टॉक शो से हुई।

राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल के तहत दूसरे और अंतिम दिन की शुरुआत जैम सिनेमा में टॉक शो से हुई। संस्कृत सिनेमा : भविष्य के साथ संवाद विषय पर शाकुंतलम फिल्म के निर्देशक दुश्यंत श्रीधर, भगवदज्जुकम फिल्म के निर्देशक यदु विजयकृष्णन, फिल्म समीक्षक चार्ल्स थॉमसन, अभिनेता शुभम सहरावत, फिल्म अभिनेत्री ज्वाला और युवराज भट्टराय ने ने चर्चा की। मंच पर राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ सरोज कोचर और रिफ फिल्म क्लब के फाउन्डर सोमेन्द्र हर्ष भी मौजूद थे।

मंच पर राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ सरोज कोचर और रिफ फिल्म क्लब के फाउन्डर सोमेन्द्र हर्ष भी मौजूद थे।

मंच पर राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ सरोज कोचर और रिफ फिल्म क्लब के फाउन्डर सोमेन्द्र हर्ष भी मौजूद थे।

इस मौके पर दुश्यंत श्रीधर ने कहा की अभिज्ञान शाकुंतलम कालिदास की संस्कृत की महान रचना है, इस पर तमिल, तेलगु और हिंदी सहित कई भाषाओं में कई फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन इस कृति की मूल भाषा में कोई फिल्म नहीं थी, इसलिए मैंने संस्कृत में शाकुंतलम बनाने का निर्णय लिया। इस दौरान कई चुनोतियाँ आईं, लेकिन मैं और मेरी टीम कहीं नहीं रुकी। उन्होंने कहा की संस्कृत सिर्फ सिद्धांत की भाषा नहीं है संस्कृत तो श्रृंगार काव्य है। संस्कृत शिष्टाचार की भाषा है लेकिन इसमें सभी रस हैं, जिन्हें सिनेमा के जरिए सामने लाने की आवश्यकता है। हम कहते हैं की कालिदास भारत के शेक्सपियर हैं, लेकिन ये गलत है, शेक्सपियर यूरोप के कालिदास हैं ये कहना अतिशयोक्ति नहीं है। कालिदास की अभिज्ञान शाकुंतलम विश्व की सबसे रोमांटिक रचना है।

दुश्यंत श्रीधर ने कहा की अभिज्ञान शाकुंतलम कालिदास की संस्कृत की महान रचना है, इस पर तमिल, तेलगु और हिंदी सहित कई भाषाओं में कई फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन इस कृति की मूल भाषा में कोई फिल्म नहीं थी, इसलिए मैंने संस्कृत में शाकुंतलम बनाने का निर्णय लिया।

दुश्यंत श्रीधर ने कहा की अभिज्ञान शाकुंतलम कालिदास की संस्कृत की महान रचना है, इस पर तमिल, तेलगु और हिंदी सहित कई भाषाओं में कई फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन इस कृति की मूल भाषा में कोई फिल्म नहीं थी, इसलिए मैंने संस्कृत में शाकुंतलम बनाने का निर्णय लिया।

वहीं शाकुंतलम फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले अभिनेता शुभम सहरावत ने इस अवसर पर संस्कृत में फिल्म के डायलॉग सुनाकर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।

इस अवसर पर फिल्म समीक्षक और अभिनेता चार्ल्स ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं अंग्रेजी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन अधिकतर देशों में अपनी भाषा को महत्व दिया जाता है, लेकिन भारत में नहीं, इसलिए आप अपनी भाषा को अपने जीवन का हिस्सा बनाओ। व्यंग्य नाटक पर आधारित फिल्म ‘भगवदज्जुकम’ के निर्देशक यदु विजयकृष्णन ने चर्चा के दौरान कहा संस्कृत सिनेमा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ऐसे फिल्म निर्मातों की जरूरत है जो, मुनाफे की चिंता किए बिना फिल्म बना सकें। अकादमी की अध्यक्ष डॉ सरोज कोचर ने चर्चा के दौरान कहा की संस्कृत को जीवंत बनाने के लिए सिनेमा बहुत जरूरी है, सिनेमा हमारे सम्पूर्ण साहित्य को सरल तरीके से लोगो तक पहुंचा सकता है।

अकादमी की अध्यक्ष डॉ सरोज कोचर ने चर्चा के दौरान कहा की संस्कृत को जीवंत बनाने के लिए सिनेमा बहुत जरूरी है, सिनेमा हमारे सम्पूर्ण साहित्य को सरल तरीके से लोगो तक पहुंचा सकता है।

अकादमी की अध्यक्ष डॉ सरोज कोचर ने चर्चा के दौरान कहा की संस्कृत को जीवंत बनाने के लिए सिनेमा बहुत जरूरी है, सिनेमा हमारे सम्पूर्ण साहित्य को सरल तरीके से लोगो तक पहुंचा सकता है।

संस्कृत भाषा की साइंस फिल्म ‘यानम’ है मंगल मिशन पर आधारित टॉक शो के बाद राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन संस्कृत भाषा की इसरो के वैज्ञानिकों पर आधारित फिल्म यानम की स्क्रीनिंग हुई। विनोद मंकर के निर्देशन में बनी फिल्म की कहानी ‘मंगलयान’ मिशन के नाम से विख्यात भारत के ऐतिहासिक ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’ की सफलता के इर्द-गिर्द घूमती है। गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 2013 में मंगलयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया था। ‘यानम’ राधाकृष्णन की पुस्तक ‘माई ओडिसी: मेमोयर्स ऑफ द मैन बिहाइंड द मंगलयान मिशन’ पर आधारित है। इस फिल्म का निर्माण राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार विनोद मंकर ने किया है। विनोद मंकर के अनुसार फिल्म का निर्माण इसरो के पूर्ण सहयोग से किया गया है। उन्होंने बताया कि 45 मिनट के इस वृत्तचित्र का निर्माण संस्कृत में किया गया है . फिल्मकार विनोद मंकर के अनुसार ‘इस फिल्म का मकसद देश की उपलब्धियों को अपनी भाषा में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पेश करना है। इससे भाषा और अंतरिक्ष उपलब्धियों दोनों का प्रचार होगा।

टॉक शो के बाद राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन संस्कृत भाषा की इसरो के वैज्ञानिकों पर आधारित फिल्म यानम की स्क्रीनिंग हुई।

टॉक शो के बाद राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन संस्कृत भाषा की इसरो के वैज्ञानिकों पर आधारित फिल्म यानम की स्क्रीनिंग हुई।

‘शाकुन्तलम’: एक गौरवशाली इतिहास की गाथा राष्ट्रीय संस्कृत फिल्म फेस्टिवल का समापन संस्कृत भाषा में बनी फिल्म शाकुंतलम की स्क्रीनिंग से हुआ. दुष्यंत श्रीधर द्वारा बनाई गई ये फिल्म कवि कालीदास की रचना अभिन्जना शाकुंतलम पर आधारित है। इस फिल्म में पायल शेट्टी ने मुख्य किरदार निभाया है। फिल्म के निर्देशक दुष्यंत श्रीधर ने राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी को बड़ी खूबसूरती से परदे पर उतारा है। कई प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में सम्मानित हो चुकी इस फिल्म फिल्म में पायल शेट्टी और शुभम सहरावत प्रमुख भूमिकाओं में हैं। फिल्म के निर्देशक दुष्यंत श्रीधर के अनुसार शाकुंतलम में 95 प्रतिशत संस्कृत और 5 प्रतिशत प्राकृत भाषा में 96 संवाद हैं. इसमें सभी किरदारों ने खाड़ी के कपड़े और हाथ की बनी ज्वेलरी पहनी है। साथ ही फिल्म के जरिए भारतीय संस्कृति को दुनिया के सामने लाने के लिए चार तरह की शास्त्रीय नृत्य शैली, चार तरह के योग और चार तरह की शिल्पकला को इस्तेमाल किया गया है। सुब्रमण्यम भारती के प्रपौत्र राजकुमार भारती ने फिल्म का संगीत तैयार किया है, और साईं श्रवणम, जो अकादमी पुरस्कार विजेता लाइफ़ ऑफ़ पाई के साउंड रिकॉर्डिस्ट थे, फिल्म के संगीत निर्माता हैं। ऑडियोग्राफी दो बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ए.एस.लक्ष्मीनारायण की है। संपादन पांच बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बी.लेनिन द्वारा किया गया है। अकादमी की अध्यक्ष डॉ सरोज कोचर ने बताया कि कला एवं संस्कृति विभाग, जगतगुरु रमानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्व विद्यालय तथा राजस्थान विप्र कल्याण बोर्ड और एन एफ डी सी के सहयोग से यह समारोह आयोजित किया गया।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *